शुक्रवार, 15 जून 2007

फर्जी मुठभेड़: नार्को टेस्ट संबंधी अर्जी खारिज

अहमदाबाद। स्थानीय अदालत ने आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा समेत छह पुलिसकर्मियों के नार्को परीक्षण कराए जाने के गुजरात सीआईडी के आवेदन को खारिज कर दिया। गिरफ्तार किए गए छह पुलिसकर्मियों में तीन आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, राजकुमार पांडियन और दिनेश एमएन शामिल हैं। तीनों आईपीएस अधिकारी निलंबित हैं। तीन अन्य आरोपी पुलिसकर्मी एनएच धाबी, संतराम शर्मा और अजय परमार हैं। इससे पहले सात जून को अदालत ने नार्को परीक्षण के अनुरोध वाले राज्य सीआईडी के आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बचाव पक्ष ने दलील दी कि बिना आरोपी की मंजूरी के नार्को परीक्षण नहीं कराए जा सकते। दलील में यह भी कहा कि सभी छह पुलिसकर्मियों की रिमांड अवधि समाप्त हो गई है और उन्हें पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता। अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि शेख के फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने और उसकी पत्नी कौसर बी की हत्या के कारणों का खुलासा करने के लिए आरोपियों का नार्को परीक्षण जरूरी है। गौरतलब है कि 26 नवंबर 2005 को शहर के बाहर राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते और राजस्थान पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में शेख मारा गया था।

आस्ट्रेलिया में नेताओं ने आउटसोर्सिग का विरोध किया

मेलबोर्न। आस्ट्रेलिया में यूनियन नेताओं ने आस्ट्रेलिया एंड न्यूजीलैंड बैंकिंग ग्रुप (एएनजेड) के नवनियुक्त मुख्य कार्यकारी से भेंट कर नौकरियां बाहर भेजे जाने (आउटसोर्सिग) का विरोध किया है। इसके पहले एएनजेड ने घोषणा की थी कि वह विक्टोरिया और दक्षिण आस्ट्रेलिया की 40 से अधिक नौकरियां भारतीय नगर बेंगलूर स्थानांतरित करेगी। दैनिक समाचार पत्र 'दि ऐज' ने यह खबर दी है। फिनांस सेक्टर यूनियनके राष्ट्रीय सचिव पाल श्रोडर ने कहा कि नौैकरियां आस्ट्रेलिया से बाहर भेजे जाने पर संकट और गहरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया के चार बैंकों में सिर्फ एक मुख्य कार्यकारी आस्ट्रेलियाई है और उसके स्थानांतरण के लिए वैश्विक स्तर पर खोज की जा रही है।

नकली पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह के तीन को जेल

देहरादून। देश-विदेश में अनेकों जगह कार्यालय खोलकर नकली पासपोर्ट बनाने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया और अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। इनके कब्जे से दर्जनों नकली पासपोर्ट और जाली दस्तावेज बरामद हुए हैं। स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) के प्रभारी पंकज गैरोला ने बताया कि एलआईयू ने नकली पासपोर्ट बनाने वाले एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश करने में सफलता पाई है जिसने भारत, नेपाल, साईप्रस, अफगानिस्तान, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर और थाईलैंड आदि देशों में अपने कार्यालय खोलकर एजेंट बैठा रखे हैं तथा अब तक अनेक बेरोजगारों को विदेश भेजने के झांसे देकर उनसे लाखों रुपये हड़प चुके हैं। उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को इस गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से दर्जनों नकली पासपोर्ट और दस्तावेज बरामद किए गए हैं। गैरोला के अनुसार दिल्ली निवासी विशाल गौतम ने शिकायत की कि दिल्ली में एक ऐसा गिरोह है जिसने अलग-अलग शहरों में अपनी ट्रेवेल्स एजेंसियां खोल रखीं हैं और बेरोजगारों को विदेश भेजने के नाम पर दो से ढाई लाख रुपये के प्रति व्यक्ति लेते हैं। विशाल गौतम ने बताया कि गिरोह के एक सदस्य शेरबहादुर की देहरादून में ससुराल है। गैरोला ने बताया कि इस सूचना के आधार पर स्थानीय अभिसूचना इकाई ने शेरबहादुर को गिरफ्तार कर लिया। शेरबहादुर के साथ उसके वाहन में तीन अन्य लोग भी थे जिन्होंने अपने नाम रामप्रसाद भेंटवाल निवासी गाजियाबाद, सीताराम और नील बहादुर दोनों नेपाल निवासी बताए। इनमें से एक नील बहादुर ने बताया कि उससे शेरबहादुर और रामप्रसाद तथा सीताराम ने पासपोर्ट बनाने के लिए ढाई लाख रुपये लिए तथा वह पिछले तीन दिनों से इन लोगों के साथ है। कड़ाई से पूछताछ करने के बाद इन तीनों बताया कि रायपुर में त्रिपुरा ओवरसीज के नाम से ट्रेवेल एजेंसी खोल रहे थे।

फ्रांस में स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त, दो की मौत

रेम्स। लक्जमबर्ग की एक स्कूल बस के फ्रांस के रेम्स में एक मालवाहक वाहन के पिछले हिस्से से टकरा जाने से उसमें सवार एक शिक्षक तथा 12 वर्षीय एक छात्र की मौत हो गई। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस दुर्घटना में कम से कम चार लोग और घायल हो गए। मार्ने क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि दुर्घटना के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है। घायलों में बस का चालक तथा तीन छात्र शामिल हैं। लक्जमबर्ग के विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि ने बताया कि बस में सवार सभी छात्र 12 साल की उम्र के थे। एक फ्रांसीसी ट्रेन वहां भेजी गयी है ताकि छात्रों को वापस लक्जमबर्ग लाया जा सके। फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रपति ने इस दुर्घटना पर गहरा शोक जताया है।

रायसीना हिल पर 'शेखावत राज' तय

नई दिल्ली [रामनारायण श्रीवास्तव]। अब यह तय है कि देश का अगला राष्ट्रपति कोई शेखावत ही होगा। भले ही वह राजग के संभावित उम्मीदवार उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत हों या डा. देवीसिंह रामसिंह शेखावत की पत्नी व संप्रग उम्मीदवार प्रतिभा देवी सिंह पाटिल। प्रतिभा की उम्मीदवारी से जहां राष्ट्रपति चुनाव में कांटे के मुकाबले की संभावना बढ़ गई है, वहीं संप्रग की अंदरूनी राजनीति में शरद पवार की पावर राजनीति को करारा झटका लगा है। भले ही सोनिया गांधी अपनी पसंद के शिवराज पाटिल के नाम पर सहमति न जुटा सकी हों, लेकिन पवार की धुर विरोधी प्रतिभा पाटिल को उम्मीदवार बना कर बड़ा दांव खेला है। शेखावटी से दिल्ली तक फैली अरावली पर्वत श्रृंखला की सर्वशक्तिमान चोटी 'रायसीना हिल' पर इस बार राज शेखावत का होगा। जंग सीकर के दो शेखावतों में है। जहां एक तरफ 'खाचरियावास' के लाल राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री व देश के उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत हैं, वहीं उनके मुकाबले में वहां से महज 25 किलोमीटर दूर स्थित 'छोटी लोथल' की बहू व राजस्थान की राज्यपाल प्रतिभा पाटिल होंगी। लेकिन इन दोनों शेखावतों के राजनीतिक कद में जमीन-आसमान का फर्क है। भैरोंसिंह शेखावत ने उपराष्ट्रपति बनने के पहले भले ही राजस्थान की राजनीति तक अपने को सीमित रखा हो, लेकिन उनके मजबूत राजनीतिक व निजी रिश्ते देशभर के तमाम दलों के दिग्गजों से रहे हैं। जोड़तोड़ की राजनीति के माहिर शेखावत का लोहा उनके विरोधी भी मानते हैं। यही वजह है कि राष्ट्रपति के चुनाव में विपरीत समीकरणों के बावजूद उनकी संभावित उम्मीदवारी से सत्तारूढ़ संप्रग डरा हुआ है। दूसरी तरफ प्रतिभा पाटिल के पति डा. देवी सिंह रामसिंह शेखावत का परिवार दशकों पहले महाराष्ट्र के अमरावती में बस गया था, लेकिन दूर देश बस गए अन्य राजस्थानियों की तरह उनके तार भी अपने गांव से जुड़े रहे। जहां राष्ट्रीय फलक पर यह जंग राजग व संप्रग में होगी, वहीं महाराष्ट्र में इससे संप्रग में अंदरूनी घमासान के आसार बन गए है। गौरतलब है कि 1979 में शरद पवार जब कांग्रेस से बाहर जाकर पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे, तब प्रतिभा पाटिल इंदिरा गांधी की कांग्रेस की तरफ से उनके खिलाफ विधानसभा में नेता विपक्ष थीं। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल व भैरोंसिंह शेखावत की जंग में दोनों के शेखावत होने के साथ कई और संयोग भी जुड़े हुए हैं। शेखावत जहां राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, वहीं प्रतिभा अभी वहां की राज्यपाल हैं। इसके अलावा शेखावत अभी राज्यसभा के सभापति हैं, जबकि प्रतिभा 1986 से 1988 तक राज्यसभा की उपसभापति रह चुकी हैं। जहां भैरोंसिंह के पिता का नाम देवी सिंह है, वहीं प्रतिभा के पति का नाम देवी सिंह है। महाराष्ट्र के जलगांव में 19 दिसंबर 1934 को जन्मी 72 वर्षीय प्रतिभा ने अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। इंदिरा गांधी की करीबी रही प्रतिभा 1962 से 1985 तक लगातार 23 साल महाराष्ट्र में विधायक रहीं। इस दौरान वे कांग्रेस सरकारों में कई विभागों की मंत्री रहने के साथ नेता प्रतिपक्ष भी रहीं। बाद में वे राज्यसभा व लोकसभा की सदस्य भी रहीं।

फिलीस्तीन में आपातकाल की घोषणा

रमल्ला। फिलीस्तीन राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने देश की व्यवस्था बिगड़ने पर आपातकाल लगा दिया है। उन्होंने हमास के नेता प्रधानमंत्री इसमाइल हैनियाह की सरकार को बर्खास्त कर दिया। फिलीस्तीन में हमास और फतह की गठबंधन सरकार थी। जहां राष्ट्रपति फतह पार्टी से हैं और प्रधानमंत्री हमास से था। अब्बास के निकट सहयोगी तैयब अब्देल रहीम ने बताया कि राष्ट्रपति जल्द ही चुनाव कराने पर विचार कर रहे हैं। अब्सास ने अपने निर्णय के संबंध में पहले ही अमेरिका, मिश्र, जार्डन को सूचना भेज दी है।

प्रतिभा बनी संप्रग-वाम गठबंधन की उम्मीदवार

नई दिल्ली। राजस्थान की राज्यपाल प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संप्रग-वाम गठबंधन की उम्मीदवार होंगी। बृहस्पतिवार को समन्वय समिति की बैठक के बाद प्रतिभा के नाम की घोषणा करते हुए संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी ने इसे भारतीय गणराज्य के 60 साल के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण करार दिया। सोनिया ने बताया कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में महाराष्ट्र की 72 वर्षीय इस नेता की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक समन्वय समिति का गठन किया जाएगा। इस सिलसिले में मिलकर काम करने को लेकर उन्होंने संप्रग सहयोगियों के प्रति आभार जताया। कांग्रेस प्रमुख ने यह घोषणा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में की, जिनके निवास पर वाम-संप्रग समन्वय समिति की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि, वरिष्ठ वामपंथी नेता प्रकाश कारत, अबनी राय और एबी वर्धन, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार समेत कई अहम नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस की पहली पसंद केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल, वामदलों की पसंद विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी और मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह भी उपस्थित थे। इसके साथ ही राष्ट्रपति पद के लिए कई दिनों चल रही गहमागहमी पर विराम लग गया। इससे पहले वाम दलों ने किसी महिला को उम्मीदवार बनाए जाने की वकालत की थी, साथ ही शिवराज पाटिल व कर्ण सिंह के नाम को सिरे से खारिज कर दिया था। राष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ दल या गठबंधन ने पहली बार किसी महिला को उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ भारत में पहली बार राष्ट्रपति भवन में एक महिला के बैठने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। यद्यपि इससे पहले कैप्टन लक्ष्मी सहगल राष्ट्रपति चुनाव में भाग ले चुकी है, लेकिन वह विपक्ष की उम्मीदवार थीं और चुनाव में सफल नहीं हो सकी थीं। आंकड़ों में भारी यूपीए की ओर से उम्मीदवार बन राष्ट्रपति भवन की देहरी तक पहुंच चुकी प्रतिभा देवी सिंह पाटिल इतिहास रचने के करीब मानी जा सकती हैं। अगर वे जीतीं तो देश के इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली महिला होंगी। साथ ही देश के सबसे संपन्न राज्य महाराष्ट्र को भी यह सम्मान पहली बार मिलेगा। आजादी के इन 60 सालों में कोई भी महिला इस सर्वोच्च पद तक पहुंचना तो दूर, उप राष्ट्रपति भी नहीं बन पाई थी। दिग्गज नेताओं की दौड़ में 'छुपा रुस्तम' साबित हुई राजस्थान की राज्यपाल प्रतिभा पाटिल का नाम जब उम्मीदवार के तौर पर सामने आया उस समय वे स्वयं राजस्थान के पर्यटन स्थल माउंट आबू में थीं और वहां से रेलगाड़ी से जयपुर लौटते समय शायद वे राजनीतिक अतीत के पन्नों को पलट इस सर्वोच्च पायदान तक पहुंचने के सफर का भी जायजा ले रही होंगी। राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों की दौड़ में उनका नाम बृहस्पतिवार की शाम के पहले तक अटकलों के रूप में भी नहीं आया था। परंतु उन्होंने आज दोपहर तक सबसे आगे चल रहे अपने ही राज्य के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल को ही शिकस्त नहीं दे डाली बल्कि गठबंधन की राजनीतिक गांठों में सोमनाथ चटर्जी, प्रणव मुखर्जी, सुशील कुमार शिंदे, कर्ण सिंह, अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा की उम्मीदवारी बांध डाली और अंतत: 72 वर्षीय पाटिल छुपा रुस्तम साबित हुई। पिछले लगभग तीन साल से राजस्थान के राज्यपाल का पद संभाल रहीं पाटिल राज्यसभा की उपसभापति भी रह चुकी हैं। कांग्रेस, वाम दलों और द्रमुक नेता एम करुणानिधि के बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद भी उपरोक्त नामों में से किसी पर सहमति नहीं बन पाई थी। शाम होते-होते इस तरह के संकेत आने लगे कि इनमें से कोई भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं होगा। इससे पहले आरएसपी के अबनी राय ने साफ संकेत दे दिया था कि 'एक चौंकाने वाले नाम' पर सहमति बनेगी और यह चौंकाने वाला नाम अंत में प्रतिभा पाटिल का निकला। एक सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाली पाटिल 1962 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनी गई। वह तब से लेकर 1985 तक विधायक चुनी जाती रहीं और इस बीच राज्य की उप मंत्री, कैबिनेट मंत्री और विपक्ष की नेता भी चुनी गई। महाराष्ट्र के जलगांव में 19 दिसंबर, 1934 को जन्मी पाटिल 18 नवंबर, 1986 से पांच नवंबर 1988 तक राज्यसभा में उपसभापति रही। सात जुलाई, 1965 को उनका डा. देवसिंह रामसिंह शेखावत से विवाह हुआ। उनके एक पुत्र और एक पुत्री है। वह वर्ष 1967 से 1978 महाराष्ट्र सरकार में स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण उप मंत्री, स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण मंत्री, समाज कल्याण मंत्री और पुनर्वास सांस्कृतिक मामलों की मंत्री रही। पाटिल जुलाई 1979 से फरवरी 1980 तक महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रही। जून 1985 से 1990 तक राज्यसभा सदस्य रही। वह वर्ष 1991 में अमरावती से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई। वह दोनों सदनों में विभिन्न कमेटियों की अध्यक्ष और सदस्य भी रहीं। पाटिल की खेलों में भी खासी रुचि है। वह अपने कालेज जीवन में टेबल टेनिस चैंपियन रही हैं और इंटर कालेज प्रतियोगिताओं में उन्होंने कई पुरस्कार हासिल किए हैं। नवंबर, 2004 में राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ लेने वाली पाटिल का राजनीतिक क्षेत्र के अलावा महाराष्ट्र में महिला सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन, कामकाजी महिलाओं के लिए आवास गृह की स्थापना करने, गरीब बच्चों के लिए स्कूल शुरू करवाने में विशेष योगदान रहा। राजस्थान की राज्यपाल रहते हुए भी उन्होंने इन बातों पर विशेष ध्यान दिया। जलगांव के एम जे कालेज से उन्होंने एम ए किया और बाद में मुंबई के गवर्नमेंट ला कालेज से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की। बाद में जलगांव में उन्होंने कुछ समय तक वकालत भी की। गौरतलब है कि शिवराज पाटिल के नाम पर वाम दलों को खासतौर से सख्त आपत्तिथी। वाम दलों की शर्त थी कि राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग ऐसा उम्मीदवार लाए जिसकी धर्मनिरपेक्षता पर कोई संदेह न हो, वह राजनीतिक रूप से अनुभवी हो और साथ ही संविधान और कानून का उसे अच्छा ज्ञान हो। कई दौर की बैठकों के बाद अंतत: प्रतिभा पाटिल ही इन सब कसौटियों पर खरी पाई गई और उनके नाम पर सहमति बन गई। शेखावत परिवार में ब्याही प्रतिभा का मुकाबला अब दूसरे शेखावत यानी उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत से होने के आसार हैं। उपराष्ट्रपति शेखावत राष्ट्रपति पद के लिए राजग प्रायोजित निर्दलीय उम्मीदवार हो सकते हैं।

फर्जी मुठभेड़: नार्को टेस्ट संबंधी अर्जी खारिज

अहमदाबाद। स्थानीय अदालत ने आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा समेत छह पुलिसकर्मियों के नार्को परीक्षण कराए जाने के गुजरात सीआईडी के आवेदन को खारिज कर दिया। गिरफ्तार किए गए छह पुलिसकर्मियों में तीन आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, राजकुमार पांडियन और दिनेश एमएन शामिल हैं। तीनों आईपीएस अधिकारी निलंबित हैं। तीन अन्य आरोपी पुलिसकर्मी एनएच धाबी, संतराम शर्मा और अजय परमार हैं। इससे पहले सात जून को अदालत ने नार्को परीक्षण के अनुरोध वाले राज्य सीआईडी के आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बचाव पक्ष ने दलील दी कि बिना आरोपी की मंजूरी के नार्को परीक्षण नहीं कराए जा सकते। दलील में यह भी कहा कि सभी छह पुलिसकर्मियों की रिमांड अवधि समाप्त हो गई है और उन्हें पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता। अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि शेख के फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने और उसकी पत्नी कौसर बी की हत्या के कारणों का खुलासा करने के लिए आरोपियों का नार्को परीक्षण जरूरी है। गौरतलब है कि 26 नवंबर 2005 को शहर के बाहर राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते और राजस्थान पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में शेख मारा गया था।

मंगलवार, 12 जून 2007

हावड़ा एक्सप्रेस पटरी से उतरी, 100 घायल

हैदराबाद। नागरकोइल हावड़ा सुपर फास्ट एक्सप्रेस (2659 डाउन) के 14 डिब्बे सोमवार रात डुवाडा के पास पटरी से उतर गए, जिसमें कम से कम 100 लोग घायल हो गए। विशाखापत्तनम से करीब 20 किलोमीटर दूर हुई इस घटना के बाद पुलिस और नागरिक प्रशासन अधिकारी घटनास्थल पर बचाव कार्य की देखरेख कर रहे हैं। कुछ घायलों को विशाखापत्त्नम के किंग जार्ज और रेलवे अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। सत्यम दुर्घटना हेल्पलाइन सर्विस ने क्षेत्र में पांच एबुलेंस भेजी हैं। हेल्पलाइन के एक अधिकारी ने कहा कि अंधेरा होने की वजह से राहत कार्य में दिक्कत आ रही है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना रात करीब सवा 11 बजे हुई। विशाखापत्त्नम में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है जिसका टेलीफोन नंबर 0891-2575083 है।

राष्ट्रपति चुनाव में संप्रग के साथ रहेंगी माया

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव पर बसपा के समर्थन को लेकर तीन दिनों से दिल्ली में रहकर भी चुप्पी साधे रहीं उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मैराथन चर्चा के बाद भी अपने पत्ते नहीं खोले। अलबत्ता उन्होंने यह जरूर साफ कर दिया कि वे राष्ट्रपति चुनाव में संप्रग के साथ ही रहेंगी। लेकिन संप्रग का साथ देने के बदले मायावती ने कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष कुछ बातें भी जरूर रख दीं है जिसका खुलासा वह संभवत: मंगलवार को करेंगी। सोनिया गांधी से अपने आवास पर रात्रिभोज के दौरान करीब सवा दो घंटे हुई लंबी चर्चा के बाद मायावती ने पत्रकारों से कहा 'राष्ट्रपति चुनाव पर उम्मीदवार को लेकर सोनिया गांधी से लंबी-चौड़ी बातचीत हुई है। मैंने भी उनके सामने कुछ बातें रखी हैं। बातचीत में काफी सामंजस्य रहा और अच्छे वातावरण में बात हुई। लेकिन बसपा के रुख का खुलासा मैं कल (मंगलवार) एक बयान जारी कर करूंगी।' मायावती के इस रुख से यह माना जा रहा है कि उन्हें संप्रग के राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर कोई एतराज नहीं है। अलबत्ता बसपा को भी राष्ट्रपति पद के चुनाव में संप्रग के समर्थन का राजनीतिक लाभ मिलना चाहिए। कयास लगाए जा रहे हैं कि बसपा की निगाहें भी अब उपराष्ट्रपति पद की तरफ हैं क्योंकि अपने पूरे राजनीतिक सफर में बसपा केन्द्र की राजनीति में कभी इतनी ताकतवर नहीं रही है। बसपा की इस बढ़ी अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मायावती के घर भोज बैठक के लिए जाने से पूर्व सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ सिपहसालारों के साथ चर्चा की। सोनिया-मायावती की भोज बैठक कितनी अहम रही इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सवा दो घंटे की बैठक के दौरान लगभग 45 मिनट मायावती के अफसर भी मौजूद थे। लेकिन इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव और राजनीतिक मसलों पर दोनों की डेढ़ घंटे तक हुई बातचीत के दौरान इन दोनों के अलावा और कोई नहीं था। बैठक के बाद सोनिया ने मीडिया से बातचीत के अनुरोध को अनसुना कर दिया जबकि मायावती ने बाहर आकर बात की। उपराष्ट्रपति पद पर बसपा की निगाहें जाने के पर्याप्त आधार भी हैं। जैसा कि कांग्रेस नेतृत्व ने यह संकेत दिया है कि राष्ट्रपति पद पर कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन करने की एवज में पार्टी उपराष्ट्रपति पद सहयोगी या संप्रग घटक दलों को दे सकती है। द्रमुक प्रमुख करुणानिधि ने पहले ही उपराष्ट्रपति पद पर अपनी पार्टी की दावेदारी जता दी है। वहीं अब इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के राष्ट्रपति पद की होड़ में शामिल नहीं होने के बाद वामपंथी दल उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने के इच्छुक होने लगे हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति पद पर बसपा की दावेदारी के आधार को इस लिहाज से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उसके पास द्रमुक से दोगुने से भी ज्यादा वोट हैं। राष्ट्रपति चुनाव की सियासत में उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की रणनीति के चलते एक-एक वोट की अहमियत है।

बब्बर खालसा के आतंकी को तीन साल की कैद

कुरुक्षेत्र। बब्बर खालसा के एक आतंकी को सोमवार को तीन साल के कैद की सजा सुनाई गई। उसे यहां एक गांव से हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट नरेश कुमार ने गुरदीप सिंह राणा को हथियार कानून के तहत दोषी ठहराया और उस पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया। मजिस्ट्रेट ने तीन अन्य को सबूत के अभाव में बरी कर दिया। राणा को 17 अक्टूबर 2005 को प्रीतम सिंह, अमृतपाल सिंह और कुलदीप सिंह के साथ कुरुक्षेत्र जिले के बाबैन इलाके के सुरजा गांव से गिरफ्तार किया गया था जहां वह छिपा हुआ था। उसकी पंजाब पुलिस को तलाश थी। बब्बर खालसा इंटरनेशनल के इस युवा आतंकी के पास से एक रिवाल्वर और कुछ कारतूस बरामद किए गए थे।

टूटू का नोबेल शांति पुरस्कार चोरी, बरामद

जोहांसबर्ग। आर्कबिशप डेंसमंड टूटू को मिला नोबेल शांति पुरस्कार उनके घर से चोरी चला गया, लेकिन बाद में पुलिस ने उसे बरामद कर लिया। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस प्रवक्ता थेम्बी नकवाशु ने साउथ अफ्रीकन प्रेस एसोसिएशन को बताया कि बरामद सामग्री में अमेरिकी नगर सैक्रामेंटो की गोल्डन की शामिल है। उन्होंने बताया कि चोरों ने टूटू के ओरलैंडो वेस्ट स्थित घर से रविवार की सुबह टीवी, डीवीडी प्लेयर, कपड़े आदि भी चुरा लिए। टूटू अभी स्विटजरलैंड में हैं। चोरी के सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

डेनमार्क: भारत से बच्चे गोद लेने पर रोक

कोपेनहेगन। डेनमार्क ने भारत से बच्चे गोद लेने की संपूर्ण व्यवस्था पर रोक लगा दी है। यह कदम एक समाचार चैनल द्वारा स्कैडिनेवियाई देशों में गोद लिए गए कुछ बच्चों का अपहरण होने के दावे करने संबंधी खबरों के प्रसारित होने के बाद उठाया गया। डेनमार्क के उपभोक्ता एवं पारिवारिक मामलों के मंत्री केरिना क्रिसटेनसेन ने कहा कि मैं इस तरह की खबरों से चिंतित हूं। उन्होंने कहा कि डेनमार्क अस्थाई तौर पर भारत से बच्चों के गोद लेने की संपूर्ण व्यवस्था पर रोक लगा रहा है जब तक हम इस बात से आश्वस्त नहीं हो जाएं कि भारत से बच्चे गोद लेना पूरी तरह से सुरक्षित है। क्रिसटेनसेन ने अपने देश के अधिकारिकयों को डेनमार्क सरकार से मान्यता प्राप्त एजेंसी एसी इंटरनेशनल चाइल्ड सपोर्ट की जांच करने को कहा। गौरतलब है कि उक्त संगठन पर डीआरआई वृतचित्र में आरोप लगाया गया था कि उसने पुणे के अनाथालय से बिना अनुमति के ही बच्चों के गोद लेने की प्रक्रिया संपन्न करा दिया था। समाचार चैनल पर रविवार को प्रसारित वृतचित्र में रमेश कुलकर्णी ने दावा किया कि उसने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद नौकरी की खोज तक अस्थाई तौर पर अपने बच्चों को प्रीत मंदिर अनाथालय में रखा था। कुलकर्णी ने डीआरआई को बताया कि उसे वर्षो तक अनाथालय में अपने बच्चों से नहीं मिलने दिया गया। इस वर्ष अप्रैल में उसे पता चला कि उसके बच्चों के वर्ष 2003 में एसी इंटरनेशनल चाइल्ड सपोर्ट के जरिए डेनमार्क के किसी व्यक्ति ने गोद लिया है। इस बीच, एसी बोर्ड के अध्यक्ष एंडर्स क्रिसटेनसेन ने कहा कि अगर भारतीय अधिकारियों की जांच में स्पष्ट हो जाता है कि रमेश कुलकर्णी के बच्चों को गलत तरीके से गोद लिया गया है तो यह बेहद दुखदायी घटना होगी। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि भारतीय अधिकारी इस बात का पता लगाएंगे कि वास्तव में कोई अपराध हुआ है या नहीं।

सौतेली मां से निकाह दुष्कर्म के बराबर

सहारनपुर/मुजफ्फरनगर। सौतेली मां के साथ बेटे के निकाह ने एक नई बहस छेड़ दी है। कांधला (मुजफ्फरनगर) में युवक द्वारा सौतेली मां से किए गए इस निकाह को दारुल उलूम ने हराम करार दिया है। अपने फतवे में दारुल उलूम ने साफ किया है कि ऐसा निकाह शरीयत के खिलाफ है। दोनों को पति-पत्नी के रूप में साथ रहने की इजाजत इसलाम में नहीं है। वहीं, कुछ अन्य मुसलिम उलेमाओं ने इस शादी को दुष्कर्म की संज्ञा दी है। फतवा विभाग के सूत्रों के मुताबिक फतवे में इसलाम के मुताबिक जब किसी व्यक्ति ने किसी औरत से एक बार निकाह कर लिया और चाहे वर्तमान में वह उसकी बीवी के रूप में न रह रही हो या पति द्वारा तलाक दे दी गई हो तो ऐसी औरत से उसके सौतेले बेटे का निकाह हराम है। इसकी इसलाम में कोई गुंजाइश नहीं है। दारुल उलूम के मुफ्ती-ए-कराम ने निकाह को शरीयत की रोशनी में हराम करार दिया। दारुल उलूम वक्फ के नायब मोहतमिम एवं फतवा विभाग के नायब प्रभारी मुफ्ती एहसान कासमी ने कहा कि शरीयत से बड़ी कोई चीज नहीं है तथा बेटे द्वारा सौतेली मां से किया गया निकाह हराम है। वहीं, शरियत अदालत के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद इरफान ने कहा कि सौतेली मां से निकाह कतई हराम है। इस्लाम इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इस्लामी कानून में ऐसा कृत्य दुष्कर्म है। उत्तर प्रदेश इमाम संगठन के मुफ्ती जुल्फिकार ने कहा कि शरियत कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उस महिला से निकाह की इजाजत नहीं है जो उसकी मां अथवा सौतेली मां हो। ऐसा निकाह हराम है। वैसे भी हर मुस्लिम महिला को तलाक के बाद इदत में रहना पड़ता है। बताते चलें कि कांधला के गांव गंगेरू निवासी मौलवी हाशिम ने विधवा रुखसाना से निकाह किया था। कुछ ही दिन बाद हाशिम के सबसे बडे़ लड़के शौकीन व रुखसाना के बीच प्रेम संबंध हो गया। इससे नावाकिफ हाशिम इसलामिया मदरसे में पढ़ाने मेरठ चला गया। घरवालों से जब उसे इन दोनों के बारे में पता चला तो उसने रुखसाना को तलाक दे दिया। इसके बाद शौकीन और रुखसाना पानीपत पहुंचे। वहां कोर्ट मैरिज कर वे गांव लौट आए और दूसरे मोहल्ले में साथ-साथ रहने लगे। इसका विरोध करने पर दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई जिसमें आधा दर्जन लोग घायल हुए थे।

गुर्जर प्रताड़ना पर निर्देश देने से इनकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के पुलिस प्रमुखों को गुर्जरों को प्रताड़ित नहीं किए जाने संबंधी निर्देश देने से यह कहकर इनकार कर दिया कि अदालत ऐसा निर्देश नहीं दे सकती। न्यायमूर्ति अरिजीत और पसायत न्यायमूर्ति पी पी नावलेकर की अवकाशकालीन पीठ ने अखिल भारतीय गुर्जर विकास संगठन की इस तरह की एक याचिका इस मुद्दे से जुडे़ मुख्य मामले के साथ स्वीकार करने से इनकार कर दिया। पांच जून को न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए चारो राज्यों के पुलिस प्रमुखों से इस बारे में जानकारी मांगी थी कि राजस्थान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे गुर्जरों के समर्थन में एक हफ्ते तक चले आंदोलन के दौरान निजी एवं जन संपत्तियों के नुकसान की घटना पर वे क्या कार्रवाई कर रहे हैं या इस दिशा में क्या करने का मन बनाया है। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील सूरत सिंह ने न्यायालय को बताया कि पांच जून के निर्देश के मद्देनजर पुलिस बेकसूर गुर्जर युवकों को प्रताड़ित कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन के दौरान नष्ट हुई संपत्तियों की जांच के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए ताकि सिर्फ दोषियों को ही सजा मिले। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस तरह का कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता। पीठ ने कहा कि यदि आप निर्दोष हैं तो जाइए और पुलिस को कहिये कि आप निर्दोष हैं। गौरतलब है कि आंदोलन के दौरान करीब सप्ताह भर तक दिल्ली-जयपुर मार्ग पर रेल और सड़क सेवाएं बाधित रहीं। इसके अलावा व्यापक पैमाने पर राजस्थान में जन संपत्तिायों को निशाना बनाया गया। नई दिल्ली से मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बंगलुरू, हैदराबाद, कन्याकुमारी, पटना, लखनऊ आदि जगहों को जाने वाली लंबी दूरी की रेलगाड़ियां बाधित रहीं।

फोर्ड ने टीम इंडिया का कोच पद ठुकराया

नई दिल्ली। दो दिन पहले ही भारतीय क्रिकेट टीम के नए कोच नियुक्त किए गए ग्राहम फोर्ड ने सोमवार को एकदम से पासा पलटते हुए कोच पद स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। फोर्ड ने कहा है कि वह आगे भी कैंट काउंटी क्रिकेट क्लब के साथ जुड़े रहना चाहते है। कैंट क्लब की वेबसाइट पर जारी अपने बयान में फोर्ड ने कहा, 'काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने कैंट के साथ बने रहने का फैसला किया है। वास्तव में यह बहुत मुश्किल फैसला था। भारत ने मेरी क्षमताओं में दिलचस्पी दिखाई जिससे मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं लेकिन मेरा मानना है कि यह मेरे और मेरे परिवार के लिए सही फैसला है।' दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कोच फोर्ड को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने 9 जून को चेन्नई में कोच चयन समिति की बैठक के बाद राष्ट्रीय टीम का कोच नियुक्त किया था लेकिन इसके 48 घंटे बाद ही 46 वर्षीय फोर्ड ने अपने हाथ वापस खींच लिए। फोर्ड के अलावा इंग्लैंड के स्पिनर जॉन एंबुरी ने भी समिति के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी थी। बीसीसीआई कार्यकारिणी की मंगलवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में फोर्ड की नियुक्ति को मंजूरी मिलनी थी। अब इस घटनाक्रम के बाद बोर्ड को फिर नए कोच की तलाश करनी होगी। फोर्ड से पहले आस्ट्रेलिया के डेव व्हाटमोर बीसीसीआई की पसंद माने जा रहे थे लेकिन बाद में बोर्ड ने उन्हें इस पद की दौड़ से बाहर कर दिया था। बतौर कोच फोर्ड काफी सफल रहे है और इसलिए कप्तान राहुल द्रविड़ सहित भारतीय टीम के वरिष्ठ सदस्यों की वह पहली पसंद थे। दक्षिण अफ्रीका के रहने वाले फोर्ड ने मैच फिक्सिंग कांड के बाद मुश्किल घड़ियों में अपनी राष्ट्रीय टीम का कोच रहते हुए सफलता हासिल की थी। कोच पद के दावेदार एंबुरी ने इंग्लैंड की तरफ से 64 टेस्ट और 61 वनडे मैच खेले है लेकिन नॉर्थम्पटनशायर और मिडिलसेक्स का कोच रहते हुए उन्हें खास सफलता नहीं मिली। कार्यकारिणी की मंगलवार को होने वाली बैठक में इस हॉट सीट के लिए एंबुरी की योग्यता पर फिर से चर्चा की जा सकती है। आस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल के बाद से भारतीय टीम का कोच पद खाली पड़ा है। फोर्ड ने अपने बयान में यह भी कहा है कि वह कैंट क्लब के आभारी हैं, जो उसने उन्हें साक्षात्कार के लिए भारत जाने की अनुमति दी। फोर्ड के इस फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए कैंट के क्रिकेट मामलों के अध्यक्ष ग्राहम जानसन ने कहा, 'यह कैंट के क्रिकेट के लिए वास्तव में बहुत अच्छी खबर है। हमें बहुत खुशी है कि ग्राहम ने हमारे साथ बने रहने का फैसला किया है।