मंगलवार, 12 जून 2007

हावड़ा एक्सप्रेस पटरी से उतरी, 100 घायल

हैदराबाद। नागरकोइल हावड़ा सुपर फास्ट एक्सप्रेस (2659 डाउन) के 14 डिब्बे सोमवार रात डुवाडा के पास पटरी से उतर गए, जिसमें कम से कम 100 लोग घायल हो गए। विशाखापत्तनम से करीब 20 किलोमीटर दूर हुई इस घटना के बाद पुलिस और नागरिक प्रशासन अधिकारी घटनास्थल पर बचाव कार्य की देखरेख कर रहे हैं। कुछ घायलों को विशाखापत्त्नम के किंग जार्ज और रेलवे अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। सत्यम दुर्घटना हेल्पलाइन सर्विस ने क्षेत्र में पांच एबुलेंस भेजी हैं। हेल्पलाइन के एक अधिकारी ने कहा कि अंधेरा होने की वजह से राहत कार्य में दिक्कत आ रही है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना रात करीब सवा 11 बजे हुई। विशाखापत्त्नम में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है जिसका टेलीफोन नंबर 0891-2575083 है।

राष्ट्रपति चुनाव में संप्रग के साथ रहेंगी माया

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव पर बसपा के समर्थन को लेकर तीन दिनों से दिल्ली में रहकर भी चुप्पी साधे रहीं उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मैराथन चर्चा के बाद भी अपने पत्ते नहीं खोले। अलबत्ता उन्होंने यह जरूर साफ कर दिया कि वे राष्ट्रपति चुनाव में संप्रग के साथ ही रहेंगी। लेकिन संप्रग का साथ देने के बदले मायावती ने कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष कुछ बातें भी जरूर रख दीं है जिसका खुलासा वह संभवत: मंगलवार को करेंगी। सोनिया गांधी से अपने आवास पर रात्रिभोज के दौरान करीब सवा दो घंटे हुई लंबी चर्चा के बाद मायावती ने पत्रकारों से कहा 'राष्ट्रपति चुनाव पर उम्मीदवार को लेकर सोनिया गांधी से लंबी-चौड़ी बातचीत हुई है। मैंने भी उनके सामने कुछ बातें रखी हैं। बातचीत में काफी सामंजस्य रहा और अच्छे वातावरण में बात हुई। लेकिन बसपा के रुख का खुलासा मैं कल (मंगलवार) एक बयान जारी कर करूंगी।' मायावती के इस रुख से यह माना जा रहा है कि उन्हें संप्रग के राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर कोई एतराज नहीं है। अलबत्ता बसपा को भी राष्ट्रपति पद के चुनाव में संप्रग के समर्थन का राजनीतिक लाभ मिलना चाहिए। कयास लगाए जा रहे हैं कि बसपा की निगाहें भी अब उपराष्ट्रपति पद की तरफ हैं क्योंकि अपने पूरे राजनीतिक सफर में बसपा केन्द्र की राजनीति में कभी इतनी ताकतवर नहीं रही है। बसपा की इस बढ़ी अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मायावती के घर भोज बैठक के लिए जाने से पूर्व सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ सिपहसालारों के साथ चर्चा की। सोनिया-मायावती की भोज बैठक कितनी अहम रही इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सवा दो घंटे की बैठक के दौरान लगभग 45 मिनट मायावती के अफसर भी मौजूद थे। लेकिन इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव और राजनीतिक मसलों पर दोनों की डेढ़ घंटे तक हुई बातचीत के दौरान इन दोनों के अलावा और कोई नहीं था। बैठक के बाद सोनिया ने मीडिया से बातचीत के अनुरोध को अनसुना कर दिया जबकि मायावती ने बाहर आकर बात की। उपराष्ट्रपति पद पर बसपा की निगाहें जाने के पर्याप्त आधार भी हैं। जैसा कि कांग्रेस नेतृत्व ने यह संकेत दिया है कि राष्ट्रपति पद पर कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन करने की एवज में पार्टी उपराष्ट्रपति पद सहयोगी या संप्रग घटक दलों को दे सकती है। द्रमुक प्रमुख करुणानिधि ने पहले ही उपराष्ट्रपति पद पर अपनी पार्टी की दावेदारी जता दी है। वहीं अब इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के राष्ट्रपति पद की होड़ में शामिल नहीं होने के बाद वामपंथी दल उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने के इच्छुक होने लगे हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति पद पर बसपा की दावेदारी के आधार को इस लिहाज से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उसके पास द्रमुक से दोगुने से भी ज्यादा वोट हैं। राष्ट्रपति चुनाव की सियासत में उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की रणनीति के चलते एक-एक वोट की अहमियत है।

बब्बर खालसा के आतंकी को तीन साल की कैद

कुरुक्षेत्र। बब्बर खालसा के एक आतंकी को सोमवार को तीन साल के कैद की सजा सुनाई गई। उसे यहां एक गांव से हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट नरेश कुमार ने गुरदीप सिंह राणा को हथियार कानून के तहत दोषी ठहराया और उस पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया। मजिस्ट्रेट ने तीन अन्य को सबूत के अभाव में बरी कर दिया। राणा को 17 अक्टूबर 2005 को प्रीतम सिंह, अमृतपाल सिंह और कुलदीप सिंह के साथ कुरुक्षेत्र जिले के बाबैन इलाके के सुरजा गांव से गिरफ्तार किया गया था जहां वह छिपा हुआ था। उसकी पंजाब पुलिस को तलाश थी। बब्बर खालसा इंटरनेशनल के इस युवा आतंकी के पास से एक रिवाल्वर और कुछ कारतूस बरामद किए गए थे।

टूटू का नोबेल शांति पुरस्कार चोरी, बरामद

जोहांसबर्ग। आर्कबिशप डेंसमंड टूटू को मिला नोबेल शांति पुरस्कार उनके घर से चोरी चला गया, लेकिन बाद में पुलिस ने उसे बरामद कर लिया। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस प्रवक्ता थेम्बी नकवाशु ने साउथ अफ्रीकन प्रेस एसोसिएशन को बताया कि बरामद सामग्री में अमेरिकी नगर सैक्रामेंटो की गोल्डन की शामिल है। उन्होंने बताया कि चोरों ने टूटू के ओरलैंडो वेस्ट स्थित घर से रविवार की सुबह टीवी, डीवीडी प्लेयर, कपड़े आदि भी चुरा लिए। टूटू अभी स्विटजरलैंड में हैं। चोरी के सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

डेनमार्क: भारत से बच्चे गोद लेने पर रोक

कोपेनहेगन। डेनमार्क ने भारत से बच्चे गोद लेने की संपूर्ण व्यवस्था पर रोक लगा दी है। यह कदम एक समाचार चैनल द्वारा स्कैडिनेवियाई देशों में गोद लिए गए कुछ बच्चों का अपहरण होने के दावे करने संबंधी खबरों के प्रसारित होने के बाद उठाया गया। डेनमार्क के उपभोक्ता एवं पारिवारिक मामलों के मंत्री केरिना क्रिसटेनसेन ने कहा कि मैं इस तरह की खबरों से चिंतित हूं। उन्होंने कहा कि डेनमार्क अस्थाई तौर पर भारत से बच्चों के गोद लेने की संपूर्ण व्यवस्था पर रोक लगा रहा है जब तक हम इस बात से आश्वस्त नहीं हो जाएं कि भारत से बच्चे गोद लेना पूरी तरह से सुरक्षित है। क्रिसटेनसेन ने अपने देश के अधिकारिकयों को डेनमार्क सरकार से मान्यता प्राप्त एजेंसी एसी इंटरनेशनल चाइल्ड सपोर्ट की जांच करने को कहा। गौरतलब है कि उक्त संगठन पर डीआरआई वृतचित्र में आरोप लगाया गया था कि उसने पुणे के अनाथालय से बिना अनुमति के ही बच्चों के गोद लेने की प्रक्रिया संपन्न करा दिया था। समाचार चैनल पर रविवार को प्रसारित वृतचित्र में रमेश कुलकर्णी ने दावा किया कि उसने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद नौकरी की खोज तक अस्थाई तौर पर अपने बच्चों को प्रीत मंदिर अनाथालय में रखा था। कुलकर्णी ने डीआरआई को बताया कि उसे वर्षो तक अनाथालय में अपने बच्चों से नहीं मिलने दिया गया। इस वर्ष अप्रैल में उसे पता चला कि उसके बच्चों के वर्ष 2003 में एसी इंटरनेशनल चाइल्ड सपोर्ट के जरिए डेनमार्क के किसी व्यक्ति ने गोद लिया है। इस बीच, एसी बोर्ड के अध्यक्ष एंडर्स क्रिसटेनसेन ने कहा कि अगर भारतीय अधिकारियों की जांच में स्पष्ट हो जाता है कि रमेश कुलकर्णी के बच्चों को गलत तरीके से गोद लिया गया है तो यह बेहद दुखदायी घटना होगी। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि भारतीय अधिकारी इस बात का पता लगाएंगे कि वास्तव में कोई अपराध हुआ है या नहीं।

सौतेली मां से निकाह दुष्कर्म के बराबर

सहारनपुर/मुजफ्फरनगर। सौतेली मां के साथ बेटे के निकाह ने एक नई बहस छेड़ दी है। कांधला (मुजफ्फरनगर) में युवक द्वारा सौतेली मां से किए गए इस निकाह को दारुल उलूम ने हराम करार दिया है। अपने फतवे में दारुल उलूम ने साफ किया है कि ऐसा निकाह शरीयत के खिलाफ है। दोनों को पति-पत्नी के रूप में साथ रहने की इजाजत इसलाम में नहीं है। वहीं, कुछ अन्य मुसलिम उलेमाओं ने इस शादी को दुष्कर्म की संज्ञा दी है। फतवा विभाग के सूत्रों के मुताबिक फतवे में इसलाम के मुताबिक जब किसी व्यक्ति ने किसी औरत से एक बार निकाह कर लिया और चाहे वर्तमान में वह उसकी बीवी के रूप में न रह रही हो या पति द्वारा तलाक दे दी गई हो तो ऐसी औरत से उसके सौतेले बेटे का निकाह हराम है। इसकी इसलाम में कोई गुंजाइश नहीं है। दारुल उलूम के मुफ्ती-ए-कराम ने निकाह को शरीयत की रोशनी में हराम करार दिया। दारुल उलूम वक्फ के नायब मोहतमिम एवं फतवा विभाग के नायब प्रभारी मुफ्ती एहसान कासमी ने कहा कि शरीयत से बड़ी कोई चीज नहीं है तथा बेटे द्वारा सौतेली मां से किया गया निकाह हराम है। वहीं, शरियत अदालत के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद इरफान ने कहा कि सौतेली मां से निकाह कतई हराम है। इस्लाम इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इस्लामी कानून में ऐसा कृत्य दुष्कर्म है। उत्तर प्रदेश इमाम संगठन के मुफ्ती जुल्फिकार ने कहा कि शरियत कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उस महिला से निकाह की इजाजत नहीं है जो उसकी मां अथवा सौतेली मां हो। ऐसा निकाह हराम है। वैसे भी हर मुस्लिम महिला को तलाक के बाद इदत में रहना पड़ता है। बताते चलें कि कांधला के गांव गंगेरू निवासी मौलवी हाशिम ने विधवा रुखसाना से निकाह किया था। कुछ ही दिन बाद हाशिम के सबसे बडे़ लड़के शौकीन व रुखसाना के बीच प्रेम संबंध हो गया। इससे नावाकिफ हाशिम इसलामिया मदरसे में पढ़ाने मेरठ चला गया। घरवालों से जब उसे इन दोनों के बारे में पता चला तो उसने रुखसाना को तलाक दे दिया। इसके बाद शौकीन और रुखसाना पानीपत पहुंचे। वहां कोर्ट मैरिज कर वे गांव लौट आए और दूसरे मोहल्ले में साथ-साथ रहने लगे। इसका विरोध करने पर दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई जिसमें आधा दर्जन लोग घायल हुए थे।

गुर्जर प्रताड़ना पर निर्देश देने से इनकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के पुलिस प्रमुखों को गुर्जरों को प्रताड़ित नहीं किए जाने संबंधी निर्देश देने से यह कहकर इनकार कर दिया कि अदालत ऐसा निर्देश नहीं दे सकती। न्यायमूर्ति अरिजीत और पसायत न्यायमूर्ति पी पी नावलेकर की अवकाशकालीन पीठ ने अखिल भारतीय गुर्जर विकास संगठन की इस तरह की एक याचिका इस मुद्दे से जुडे़ मुख्य मामले के साथ स्वीकार करने से इनकार कर दिया। पांच जून को न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए चारो राज्यों के पुलिस प्रमुखों से इस बारे में जानकारी मांगी थी कि राजस्थान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे गुर्जरों के समर्थन में एक हफ्ते तक चले आंदोलन के दौरान निजी एवं जन संपत्तियों के नुकसान की घटना पर वे क्या कार्रवाई कर रहे हैं या इस दिशा में क्या करने का मन बनाया है। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील सूरत सिंह ने न्यायालय को बताया कि पांच जून के निर्देश के मद्देनजर पुलिस बेकसूर गुर्जर युवकों को प्रताड़ित कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन के दौरान नष्ट हुई संपत्तियों की जांच के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए ताकि सिर्फ दोषियों को ही सजा मिले। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस तरह का कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता। पीठ ने कहा कि यदि आप निर्दोष हैं तो जाइए और पुलिस को कहिये कि आप निर्दोष हैं। गौरतलब है कि आंदोलन के दौरान करीब सप्ताह भर तक दिल्ली-जयपुर मार्ग पर रेल और सड़क सेवाएं बाधित रहीं। इसके अलावा व्यापक पैमाने पर राजस्थान में जन संपत्तिायों को निशाना बनाया गया। नई दिल्ली से मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बंगलुरू, हैदराबाद, कन्याकुमारी, पटना, लखनऊ आदि जगहों को जाने वाली लंबी दूरी की रेलगाड़ियां बाधित रहीं।

फोर्ड ने टीम इंडिया का कोच पद ठुकराया

नई दिल्ली। दो दिन पहले ही भारतीय क्रिकेट टीम के नए कोच नियुक्त किए गए ग्राहम फोर्ड ने सोमवार को एकदम से पासा पलटते हुए कोच पद स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। फोर्ड ने कहा है कि वह आगे भी कैंट काउंटी क्रिकेट क्लब के साथ जुड़े रहना चाहते है। कैंट क्लब की वेबसाइट पर जारी अपने बयान में फोर्ड ने कहा, 'काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने कैंट के साथ बने रहने का फैसला किया है। वास्तव में यह बहुत मुश्किल फैसला था। भारत ने मेरी क्षमताओं में दिलचस्पी दिखाई जिससे मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं लेकिन मेरा मानना है कि यह मेरे और मेरे परिवार के लिए सही फैसला है।' दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कोच फोर्ड को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने 9 जून को चेन्नई में कोच चयन समिति की बैठक के बाद राष्ट्रीय टीम का कोच नियुक्त किया था लेकिन इसके 48 घंटे बाद ही 46 वर्षीय फोर्ड ने अपने हाथ वापस खींच लिए। फोर्ड के अलावा इंग्लैंड के स्पिनर जॉन एंबुरी ने भी समिति के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी थी। बीसीसीआई कार्यकारिणी की मंगलवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में फोर्ड की नियुक्ति को मंजूरी मिलनी थी। अब इस घटनाक्रम के बाद बोर्ड को फिर नए कोच की तलाश करनी होगी। फोर्ड से पहले आस्ट्रेलिया के डेव व्हाटमोर बीसीसीआई की पसंद माने जा रहे थे लेकिन बाद में बोर्ड ने उन्हें इस पद की दौड़ से बाहर कर दिया था। बतौर कोच फोर्ड काफी सफल रहे है और इसलिए कप्तान राहुल द्रविड़ सहित भारतीय टीम के वरिष्ठ सदस्यों की वह पहली पसंद थे। दक्षिण अफ्रीका के रहने वाले फोर्ड ने मैच फिक्सिंग कांड के बाद मुश्किल घड़ियों में अपनी राष्ट्रीय टीम का कोच रहते हुए सफलता हासिल की थी। कोच पद के दावेदार एंबुरी ने इंग्लैंड की तरफ से 64 टेस्ट और 61 वनडे मैच खेले है लेकिन नॉर्थम्पटनशायर और मिडिलसेक्स का कोच रहते हुए उन्हें खास सफलता नहीं मिली। कार्यकारिणी की मंगलवार को होने वाली बैठक में इस हॉट सीट के लिए एंबुरी की योग्यता पर फिर से चर्चा की जा सकती है। आस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल के बाद से भारतीय टीम का कोच पद खाली पड़ा है। फोर्ड ने अपने बयान में यह भी कहा है कि वह कैंट क्लब के आभारी हैं, जो उसने उन्हें साक्षात्कार के लिए भारत जाने की अनुमति दी। फोर्ड के इस फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए कैंट के क्रिकेट मामलों के अध्यक्ष ग्राहम जानसन ने कहा, 'यह कैंट के क्रिकेट के लिए वास्तव में बहुत अच्छी खबर है। हमें बहुत खुशी है कि ग्राहम ने हमारे साथ बने रहने का फैसला किया है।