मंगलवार, 12 जून 2007

सौतेली मां से निकाह दुष्कर्म के बराबर

सहारनपुर/मुजफ्फरनगर। सौतेली मां के साथ बेटे के निकाह ने एक नई बहस छेड़ दी है। कांधला (मुजफ्फरनगर) में युवक द्वारा सौतेली मां से किए गए इस निकाह को दारुल उलूम ने हराम करार दिया है। अपने फतवे में दारुल उलूम ने साफ किया है कि ऐसा निकाह शरीयत के खिलाफ है। दोनों को पति-पत्नी के रूप में साथ रहने की इजाजत इसलाम में नहीं है। वहीं, कुछ अन्य मुसलिम उलेमाओं ने इस शादी को दुष्कर्म की संज्ञा दी है। फतवा विभाग के सूत्रों के मुताबिक फतवे में इसलाम के मुताबिक जब किसी व्यक्ति ने किसी औरत से एक बार निकाह कर लिया और चाहे वर्तमान में वह उसकी बीवी के रूप में न रह रही हो या पति द्वारा तलाक दे दी गई हो तो ऐसी औरत से उसके सौतेले बेटे का निकाह हराम है। इसकी इसलाम में कोई गुंजाइश नहीं है। दारुल उलूम के मुफ्ती-ए-कराम ने निकाह को शरीयत की रोशनी में हराम करार दिया। दारुल उलूम वक्फ के नायब मोहतमिम एवं फतवा विभाग के नायब प्रभारी मुफ्ती एहसान कासमी ने कहा कि शरीयत से बड़ी कोई चीज नहीं है तथा बेटे द्वारा सौतेली मां से किया गया निकाह हराम है। वहीं, शरियत अदालत के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद इरफान ने कहा कि सौतेली मां से निकाह कतई हराम है। इस्लाम इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इस्लामी कानून में ऐसा कृत्य दुष्कर्म है। उत्तर प्रदेश इमाम संगठन के मुफ्ती जुल्फिकार ने कहा कि शरियत कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उस महिला से निकाह की इजाजत नहीं है जो उसकी मां अथवा सौतेली मां हो। ऐसा निकाह हराम है। वैसे भी हर मुस्लिम महिला को तलाक के बाद इदत में रहना पड़ता है। बताते चलें कि कांधला के गांव गंगेरू निवासी मौलवी हाशिम ने विधवा रुखसाना से निकाह किया था। कुछ ही दिन बाद हाशिम के सबसे बडे़ लड़के शौकीन व रुखसाना के बीच प्रेम संबंध हो गया। इससे नावाकिफ हाशिम इसलामिया मदरसे में पढ़ाने मेरठ चला गया। घरवालों से जब उसे इन दोनों के बारे में पता चला तो उसने रुखसाना को तलाक दे दिया। इसके बाद शौकीन और रुखसाना पानीपत पहुंचे। वहां कोर्ट मैरिज कर वे गांव लौट आए और दूसरे मोहल्ले में साथ-साथ रहने लगे। इसका विरोध करने पर दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई जिसमें आधा दर्जन लोग घायल हुए थे।

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